रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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शक्ति, भक्ति और दिखावा…
गोविन्द गोविन्द राधे हरि हरदम भजते रहियो।
जाँहि बिधि जीवन चले, वही तुम चलाते रहियो॥
जो भी देवे प्रभु तुझको, हाथ वही तू गहियो,
देख औरन की समृद्धी व धन, मन मलिन न करियो।
भवसागर ये पंक सरीखा, इसमें न तू फँसियो,
फंस गयो तो इसमें जानो, कभी न तू उबरियो।
प्रभु भक्ती सब भूल चुके हैं, तू तो न भुलइयो,
विन कृपा न जग में कुछ जान, किसी को ही मिलियो।
काशी मथुरा वृन्दावन, सबहि मन में तू रखियो,
मन की पूजा सच्ची पूजा, दिखावा नहि करियो।
भक्ती में है शक्ती जानो, संशय कभी न पालियो,
हर क्षण प्रभु का नाम ही मन में जपते रहियो॥