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घमंड और रावण

मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’
कोटा(राजस्थान)
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दशहरा निकल गया,रावण जल गया,पर मेरे मन में प्रश्न अनेक सिर उठा रहे हैं।आखिर यह नवराते वर्ष में २ बार क्यों आते हैं ? रावण क्यों जलाया जाता है हर साल ? फिर भी नहीं मरता रावण..। यदि बुराई पर भलाई की जीत इसका कारण होता तो कंस पर कृष्ण की विजय का जश्न भी इसी तरह मनाया जाता,या शंकर जी ने अथवा बह्मा जी ने भी किसी बुरे पात्र का नाश किया होगा तो उनको हम इस तरह के पर्व के रूप में क्यों नही मनाते..! निश्चित ही इन पर्वों का नामकरण और बात है,और मनाने का कारण कुछ और। जैसे दुकान का नाम अमेरिकन स्वीट सेन्टर डाल दें और फिर उन मिठाईयों का कारण अमेरिका से जोड़ने की कोशिश करें। ठीक उसी तरह इन पर्वों का नाम सिर्फ जोड़ दिया गया है दशहरे में रावण और होली का हिरण्याक्ष के साथ। मेरा विचार है कि, बरसात के बाद हुई गंदगी को इकट्ठा करके उसका रावण बनाया जाता होगा। यानि सारे गाँव या बस्ती के कचरे आदि का ढेर एक जगह लगाकर उसको रावण का नाम दे दिया होगा,एवं उसको जलाकर वातावरण को गंदगी मुक्त किया गया होगा,जो कालांतर में पुतलों को जलाने के रूप में विकसित हो गया ।
इसी प्रकार 6 माह बाद सर्दी तथा ग्रीष्मकाल के सन्धि समय में होली के नाम पर समान उपक्रम किया गया होगा। इसको राग-मोह-द्वेष जलाने का नाम भी सम्भवतः इसलिए दिया होगा कि,अवांछित वस्तुओं से राग या मोह न रखा जाए,और यदि कोई मोह रखे तो जबरन चोरी करके पड़ोसी उन वस्तुओं को अनल समर्पित कर दे,क्योंकि गंदगी किसी के भी घर की हो,प्रभावित पूरा मोहल्ला या बस्ती होती है। इस प्रकार उस व्यक्ति के घमण्ड को तोड़ा गया होगा। कौन मेरी वस्तुओं को ले जा सकता है,ऐसा कोई प्रदर्शित करे तो कुछ लोग इकट्ठा होकर उसके घमण्ड को तोड़ें,आदि-आदि कई कारण हो सकते है। संभव है कि आप इस विचार से सहमत हो न हों,यहाँ आपका अलग दृष्टिकोण हो सकता है।

परिचय–मधुसूदन गौतम का स्थाई बसेरा राजस्थान के कोटा में है। आपका साहित्यिक उपनाम-कलम घिसाई है। आपकी जन्म तारीख-२७ जुलाई १९६५ एवं जन्म स्थान-अटरू है। भाषा ज्ञान-हिंदी और अंग्रेजी का रखने वाले राजस्थानवासी श्री गौतम की शिक्षा-अधिस्नातक तथा कार्यक्षेत्र-नौकरी(राजकीय सेवा) है। कलम घिसाई की लेखन विधा-गीत,कविता, लेख,ग़ज़ल एवं हाइकू आदि है। साझा संग्रह-अधूरा मुक्तक,अधूरी ग़ज़ल, साहित्यायन आदि का प्रकाशन आपके खाते में दर्ज है। कुछ अंतरतानों पर भी रचनाएँ छ्पी हैं। फेसबुक और ऑनलाइन मंचों से आपको कुछ सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी आप अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समय का साधनामयी उपयोग करना है। प्रेरणा पुंज-हालात हैं।

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