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घर-घर तिरंगा

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह नवीन जोश और उत्साह से,
भारतीय आवाज है
स्वतन्त्रता दिवस पर,
राष्ट्राभिनंदन के लिए
दिया जाने वाला आगाज़ है।

यहाँ खुशियों से भर देने वाली,
ताक़त का प्रदर्शन है
राष्ट्रीय प्रतीकों को,
दिल से यहाँ समर्पण है।

यह एक उन्नत प्रयास की,
सबसे प्रखर पहचान है
यह भारतीय संस्कृति को,
आगे बढ़ाने का संकल्प
और विधान है।

यहाँ खुशियों से भर देने वाली,
ताक़त हम-सब पाते हैं
खुशियाँ और सुकून देने वाली ताकत,
हमें एकजुट करने में
बड़ी भूमिका निभाने में,
सबसे पहले खड़ा होकर
राष्ट्रीयता को जागृत कर,
सबमें अपनत्व विवेक और विश्वास की
ओज और तेज़ की,
सदैव ज्योति यहाँ फैलाते हैं।

घर-घर तिरंगा फहराने का निर्णय,
उन्नत प्रयास और प्रयोग को
मजबूती से बढ़ने में मदद करता है,
जन-जन तक सुखद अहसास संग
सबके मन में सुकून देने वाली।
मजबूत ताक़त बनकर,
हरक्षण आगे-आगे रहता है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।