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घोंसला

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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तिनका-तिनका
चुन-चुन पँछी ने,
बनाया एक नीड़
सजाया उसे,
कपड़ों की चिन्दी
उलझे धागों और
टूटी-फूटी चीजों से,
ताकि आने वाले
नन्हें चूजों को
जरा-सी भी,
तकलीफ़ न हो।
बड़े अरमानों से सेता है
वो कई-कई दिनों तक
अपने अंडों को,
फूटते हैं अंडे
चहकते हैं नन्हें चूजे,
चोंच से चोंच में
देकर दाना पालता है,
भरता है उनके
कमज़ोर पंखों में
अपनी जान।
देता है उन्हें
खुला आसमां,
और हौंसलों की उड़ान
और देखते ही देखते
उड़ जाते हैं
वो नन्हें चूजे,
विशाल आसमां में
फ़िर कभी लौट कर
न आने के लिये॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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