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चले राम पतवार तो…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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भक्ति राम भगवान की, बनी रहे पतवार।
चले राम पतवार तो, जीवन हो भव पार॥

सिया राम की ये धरा, कितनी पावन पुन्य।
मात-पिता सन्तान हों, इस माटी में धन्य॥

वचन निभाते सुत यहाॅं, राज-पाट को त्याग।
मात-पिता का मान ही, रचता सबके भाग॥

प्रभु बसते कण-कण यहाॅं, जन-जन को विश्वास।
युग में अवतारी धरा, हर-क्षण करते वास॥

मिला जन्म मुझको यहीं, भारत मेरा देश।
सिया-राम की भक्ति का, सजा रहे परिवेश॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।