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प्यारा- दुलारा भारत तंत्र

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
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स्वतंत्र देश और हमारी जिम्मेदारी…

२६ जनवरी सन् १९५० को,
देश में लागू हुआ अपना तंत्र
जिसे ही हम कहते हैं गणतंत्र।

अपने अनुसार संविधान बना,
लागू हुआ देश में नया कानून
बढ़ा तब देश भक्ति का जुनून।

आजाद तो हो गए १९४७ में,
पर पुराना कानून था साथ में
खुशियाँ छा गई सबके मन में।

हुआ देश गुलामी से आजाद,
अंग्रेज चले गए हो के बर्बाद
बने राष्ट्रपति डॉ.राजेन्द्र प्रसाद।

देश में लागू हुआ तब गणतंत्र,
भारत कहलाया बड़ा लोकतंत्र
संविधान ही देश भक्ति का मंत्र।

संविधान देता है सब अधिकार,
जिसे कहते हैं हम सब सरकार
आता दिन साल में एक ही बार।

हमारा प्यारा गणतंत्र ‘लोकतंत्र’,
हमारा प्यारा-दुलारा भारत तंत्र
‘दीनेश’ तिरंगा प्यारा ऊंचा मंत्र॥

परिचय– दिनेश चन्द्र प्रसाद का साहित्यिक उपनाम ‘दीनेश’ है। सिवान (बिहार) में ५ नवम्बर १९५९ को जन्मे एवं वर्तमान स्थाई बसेरा कलकत्ता में ही है। आपको हिंदी सहित अंग्रेजी, बंगला, नेपाली और भोजपुरी भाषा का भी ज्ञान है। पश्चिम बंगाल के जिला २४ परगाना (उत्तर) के श्री प्रसाद की शिक्षा स्नातक व विद्यावाचस्पति है। सेवानिवृत्ति के बाद से आप सामाजिक कार्यों में भाग लेते रहते हैं। इनकी लेखन विधा कविता, कहानी, गीत, लघुकथा एवं आलेख इत्यादि है। ‘अगर इजाजत हो’ (काव्य संकलन) सहित २०० से ज्यादा रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपको कई सम्मान-पत्र व पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। श्री प्रसाद की लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैले अंधविश्वास और कुरीतियों के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देना, स्वस्थ और सुंदर समाज का निर्माण करना एवं सबके अंदर देश भक्ति की भावना होने के साथ ही धर्म-जाति-ऊंच-नीच के बवंडर से निकलकर इंसानियत में विश्वास की प्रेरणा देना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-पुराने सभी लेखक हैं तो प्रेरणापुंज-माँ है। आपका जीवन लक्ष्य-कुछ अच्छा करना है, जिसे लोग हमेशा याद रखें। ‘दीनेश’ के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए। देश है तभी हम हैं। देश रहेगा तभी जाति-धर्म के लिए लड़ सकते हैं। जब देश ही नहीं रहेगा तो कौन-सा धर्म ? देश प्रेम ही धर्म होना चाहिए और जाति इंसानियत।