कुल पृष्ठ दर्शन : 91

You are currently viewing चल चला चल…

चल चला चल…

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************

संवेदनाओं के इस भंवर में,
घूम रहा है मन
तू राही चल चला चल…।

सफर ऐ मंजिल पाना,
आसान नहीं है दिल
तू राही चल चला चल…।

जीवन की कहानी में,
दुःख-सुख का साथ है
तू राही चल चला चल…।

वक्त की आंधियाँ जब आती है,
सब-कुछ मिटा जाती है
तू राही चल चला चल…।

चाहत बहुत होती है,
पर पूरी हो नहीं पाती
तू राही चल चला चल…।

चाँद-तारे-आसमान की बात करते हो,
अरे जमीं पर रहो, तुम क्या उठाने की बात करते हो
तू राही चल चला चल…।

सफ़र-ऐ-मंजिल कब खत्म
हो जाए इंसान,
तुम फिर क्या फरियाद करते हो ?
तू राही चल चला चल…॥