श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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कहो चाँद, तुम आज क्यों इतना मुस्कुरा रहे हो!
कोई तो बात है चाँद, कहो मुझसे क्यों छुपा रहे हो ?
चाँद कारे-कारे बदरा में आज क्यों छुप रहे हो,
लगता है चाँद मुझको देखकर तुम मुस्कुरा रहे हो।
कितने सुन्दर हो तुम चाँद, मुझको तुमसे प्यार हो गया,
तुम्हारे नील गगन में चाँद, हमारा तो दिल खो गया।
काहे सखी ‘देवन्ती’ के संग लुका-छुपी तुम खेल रहे हो,
इजहार करो चाँद प्यार का, काहे नहीं कुछ बोल रहे हो!
बोलो चाँद, आज अपने दिल का राज बता दो मुझको,
अपनी सुन्दर नगरी नील गगन में सैर करा दो मुझको।
बहुत बैरी है चाँद, नील गगन के मेघा और कारे बदरा,
जाने क्यों हर पल छुपाता है चाँद तेरा चमकता चेहरा।
दिल चाहता है चाँद, गगन में तेरे संग मैं गीत गाऊँ,
प्यार की पतंग हम दोनों की, नील गगन में उड़ाऊँ।
आज पूनम की रात्रि है चाँद, तुम आँगन में आ जाना,
अपने मुखारविंद से चाँद, तुम प्रेम कथा सुना जाना॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |