रत्ना बापुली
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
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हँस कर चाँद मुझको लुभाता रहा रात भर,
अक्स उसमें पिया का आता रहा रात भर।
उनको भी मेरा ख्याल आया तो होगा,
तभी नींद भी आँखें चुराती रही रात भर।
ये यादें भी कितनी बेरहम होती है जानम,
सितारो के संग मुझे जगाती रही रात भर।
ये दर्दे इश्क का कारवां चल पड़ा है यारों,
इधर मुझे, उधर उसे तड़पाता रहा रात भर।
‘रत्न ‘तेरी जिन्दगी में यह कौन आ गया,
जुगनू की तरह तू जगमगाती रही रात भर॥