डॉ. लखन रघुवंशी
बड़नगर(मध्यप्रदेश)
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छूट जाता है हर बार कोई सिरा,
कि छोड़ दिया जाता है जानते हुए भीl
शुरू करने के लिए कुछ तो चाहिएगा की उम्मीद लिए हुए,
लेकिन कोई बात अपने अर्थ को नहीं पातीl
तुम नासमझ हो या समझना ही नहीं है तुम्हें,
कि सिरा कोई भी हो,कहीं भी छोड़ा गया हो
अंततः उसे पहुंचना होता है बहुत भीतर तकl
कोई भेद पाने के लिए नहीं,बल्कि
बस अपनी थोड़ी-सी जगह बनाने के लिएll