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जरूरत कृष्ण अवतार की

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


आ जाओ कृष्णा ले के एक नया अवतार,
नारी रूप द्रोपदी कर रही आज पुकार।
आ जाओ कृष्णा…॥

त्रेता में तुम आये,पूतना का किया संहार,
कंस-सा मामा पाया,किया उसका भी उद्धार।
आ जाओ कृष्णा…॥

ओ लीलाधर तूने कैसी लीला रचाई,
बंसी बजाकर तूने गोपियाँ खूब नचाई,
दधि की मटकी फोड़ी,जैसे दानव संहार…।
आ जाओ कृष्णा…॥

कुरुक्षेत्र में तूने अर्जुन का मान बढ़ाया,
दिखा ब्रह्माण्ड मुख में,गीता का पाठ पढ़ाया।
जड़ चेतन से अधर्म का तूने किया विनाश,
पापियों का कर संहार,किया धर्म का संचार…।
आ जाओ कृष्णा…॥

अब कलयुग है आया,हर घर ने दुर्योधन पाया,
दुःशासन खींच रहा साड़ी,क्या कन्या या नार।
आ जाओ कृष्णा…॥

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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