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महानायक श्रीकृष्ण

सुकमोती चौहान ‘रुचि’
महासमुन्द (छत्तीसगढ़)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

चंद्र मुख स्याह गात,तिलक सोहै ललाट,
शीश धरे मोर पंख,घुँघराले बाल हैं।

वंशी की मधुर धुन,सभी मुग्ध होते सुन,
जड़ हो उठे चेतन,वंशी के कमाल हैं।

तुम हो आदर्श मित्र,आदर्श प्रेमी व पुत्र,
भक्त के हो भगवान,पापियों के काल हैं।

जिस रूप को जो पूजे,उस रूप में हैं मिले,
मैं भी हूँ एक याचक,पतित-सा हाल है।

परिचय-श्रीमती सुकमोती चौहान का साहित्यिक नाम ‘रुचि’ है। जन्मतारीख-५ नवम्बर १९८२ एवं जन्म स्थान-भौरादादर है। वर्तमान में आपका बसेरा छत्तीसगढ़ स्थित ग्राम बिछिया(तहसील-बसना,जिला-महासमुन्द)है। यही स्थाई पता भी है। हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती चौहान ने स्नातकोत्तर (हिन्दी,संस्कृत )की शिक्षा ली है। आपका कार्यक्षेत्र- अध्यापन(शिक्षक)का है। सामाजिक गतिविधि में सामाजिक कार्यों में सहयोग करती हैं। लेखन विधा-कविता,दोहा,मनहरण, गीत,कुण्डलिया,लघुकथा और कहानी है।
कई पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हो रही हैं। प्राप्त सम्मान-दोहा रत्न,साहित्य सृजक,गीतांजली रत्न(उत्तर प्रदेश)मिले हैं। ‘रुचि’ की लेखनी का उद्देश्य-समाज की व्यथा को उजागर करना तथा समाज में चेतना का संचार करना है। आपके हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी हमारी मातृभाषा है। यही हमारी आन-शान-पहचान है,इसके बिना हम गूँगे-बहरे समान हैं।”

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