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मेरे कान्हा

आरती जैन
डूंगरपुर (राजस्थान)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….


कान्हा छेड़ सच्ची प्रीत का राग,
मिटा कर वासना की आग।
भक्ति सरिता मीरा हो या राधा,
तेरा प्रेम नहीं हुआ कभी आधा।
दीवानी थी तेरी हर गोपी,
पर तूने सबको इज्जत सौंपी।
तूने सिखाया कंस को भी अदब,
उसने दिखाया जब पाप का करतब।
मित्रता में भी निभाई सच्ची प्रीत,
सुदामा का किया तूने हित।
द्रोपदी का जब हरण हुआ था चीर,
तूने मिटाया उसकी आँख का नीर।
उपदेश से रची पवित्र गीता,
तेरे पथ प्रदर्शन से अर्जुन जीता।
हर युग करेगा किशन तुझे नमन,
तूने किया है बुराई का दमन॥

परिचय : श्रीमती आरती जैन की जन्म तारीख २४ नवम्बर १९९० तथा जन्म स्थली उदयपुर (राजस्थान) हैl आपका निवास स्थान डूंगरपुर (राजस्थान) में हैl आरती जैन ने एम.ए. सहित बी.एड. की शिक्षा भी ली हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य सामाजिक बुराई को दूर करना हैl आपको लेखन के लिए हाल ही में सम्मान प्राप्त हुआ हैl अंग्रेजी में लेखन करने वाली आरती जैन की रचनाएं कई दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लगातार छप रही हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखती हैंl

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