जबरा राम कंडारा
जालौर (राजस्थान)
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जल ही जीवन है,जल है तो कल है,
जल सबका ही हल,जल कल बल है।
जल से सरिता बहै,जल के बादल है,
जल के कुंए-ताल,जल का नल है।
जल की गंगा-यमुना,गोमती चंबल है,
गोदावरी-घाघरा,बह रही छलाछल है।
गहरा प्रतीक होता मान का जल है,
पानी उतर जाना इज्जत का जल है।
सवाल स्वाभिमान का बताता जल है,
गर्व से कहा जाता वहां का जल है।
सकल सजीवों का जीवन ही जल है,
जल पर ही तो निर्भर जगत सकल है।
जल से पनपते जीव पेड़ों पे फल है,
जल बिन सूखापन जल से दलदल है॥