कुल पृष्ठ दर्शन : 158

You are currently viewing जिंदगी तो आज ही है

जिंदगी तो आज ही है

राज कुमार चंद्रा ‘राज’
जान्जगीर चाम्पा(छत्तीसगढ़)

***************************************************************************

जैसे आज गुजरा है कल भी गुजर जाएगा,
वर्षों से जिस पल का इंतजार था आएगा…
और वो पल भी गुजर जाएगा।

कल की आस में आज को क्यों गवांए,
मन में कोई झूठे सपने क्यों सजाए…
वक्त की रफ्तार है न रुका था न रुकेगा आएगा,
और वो भी गुजर जाएगा।

क्या तुझे ही गम है दुनिया में क्या अकेला ही गमवान है,
हर कोई दर्द समेटे है अपने में,यहां सब तो दर्दवान है
कल की चिंता आज बिगाड़े अच्छे-अच्छों को चिंता में मारे,
जीना है हर हाल में तो फिर क्यों पड़ा है कल के सहारे
इस कल के चक्कर में पड़कर न जाने कितनों ने दम तोड़ दिया,
न जाने कितने लाइन में खड़े हैं,
और कल के काल ने कितनों से मुँह मोड़ लिया।

कल की चिंता छोड़ जो आज को जीता है,
मस्ती में खुश होकर हर गम को पीता है
कल की चिंता में आज लो गई गुजर गई,
आज की हिस्से की जो खुशियां थी वो भी बिखर गई
जो बीता ओ भी कल था,जो आएगा वो भी कल है,
जो आज है वही जिंदगी है और वही सुनहरे पल है।

कल के चक्कर पड़ने वाला,
काल की चक्की में पिस कर रह जाता है।
कल की चिंता छोड़ आज को मुस्कुराकर जीये,
बस वही जिंदगी का सिकन्दर कहलाता है…॥

परिचय-राज कुमार चंद्रा का साहित्यिक नाम ‘राज’ है। १ जुलाई १९८४ को गाँव काशीगढ़( जिला जांजगीर ) में जन्में हैं। आपका स्थाई पता-ग्राम और पोस्ट जैजैपुर,जिला जान्जगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अंग्रेजी और छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चंद्रा की शिक्षा-एम.ए.(राजनीति शास्त्र) और डिप्लोमा(इन विद्युत एवं कम्प्यूटर)है। कार्यक्षेत्र- लेखन,व्यवसाय और कृषि है। सामाजिक गतिविधि में सामाजिक कार्य में सक्रिय तथा रक्तदाता संस्था में संरक्षक हैं। राजनीति में रुचि रखने वाले राज कुमार चंद्रा की लेखन विधा-आलेख हैं। कई समाचार पत्रों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-जनजागरुकता है। आपके पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद और प्रेरणापुंज-स्वामी विवेकानंद तथा अटल जी हैं। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-“भारत महान देश है। यहाँ की संस्कृति और परम्परा महान है,जो लोगों को अपनी ओर खींचती है। हिन्दी भाषा सबसे श्रेष्ठ है,ये जितनी उन्नति करेगी,देश उतना ही उन्नति करेगा।

Leave a Reply