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जीवन-शैली में बदलाव से रहें स्वस्थ

ललित गर्ग
दिल्ली
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यकृत (लिवर) से संबंधित बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल १९ अप्रैल को ‘विश्व यकृत दिवस’ मनाया जाता है। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह यह भी हमें स्वस्थ रखने में काफी अहम भूमिका निभाता है। इसलिए उसका ख्याल रखना भी बेहद आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान के मुताबिक मस्तिष्क को छोड़कर यह शरीर का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे जटिल अंग है, जो पाचन तंत्र का एक प्रमुख अंग है। हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, चाहे वह भोजन हो, दवा या फिर कुछ और, इससे शरीर में उत्पन्न होने वाले विषाक्त पदार्थों और आंतों द्वारा अवशोषित हानिकारक पदार्थों को संभालने के लिए यकृत से होकर गुजरता है। बिना यकृत के हम जीवित नहीं रह सकते। यकृत लगभग ३०० से ज्यादा विभिन्न प्रकार के कार्य हमारे शरीर में करता है, जैसे-रक्त में शर्करा को नियंत्रण करना, विषाक्त पदार्थ को अलग करना, ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलना, प्रोटीन पोषण की मात्रा का संतुलन करना, रक्त को थक्का जमने में मदद, पित्त का विमोचन अर्थात पाचन में सहायता आदि।
यह शरीर का यह ऐसा महत्वपूर्ण अंग है जिसकी अच्छी तरह से देखभाल नहीं करते हैं तो यह आसानी से क्षतिग्रस्त हो सकता है। कई बार अनजाने में या गलत आहार के भी गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
एक स्वस्थ यकृत पाने के लिए अपने भोजन और जीवन-शैली में बदलाव कर सकते हैं। यकृत को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ आहार लें। सभी खाद्य समूहों के खाद्य पदार्थ खाएं, जिनमें अनाज, प्रोटीन, डेयरी उत्पाद, फल, सब्जियां और वसा शामिल हो। ऐसे खाद्य पदार्थ खाएं जिनमें बहुत सारे फाइबर हों, जैसे- ताजे फल और सब्जियां, साबुत अनाज की ब्रेड, चावल और अनाज। लहसुन, अंगूर, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां, सेब और अखरोट खाएं। नींबू का रस और ग्रीन टी लें। शराब, धूम्रपान और नशीले पदार्थों को ना कहें। यह यकृत की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। जहरीले रसायनों से सावधान रहें, जो यकृत कोशिकाओं को घायल कर सकते हैं।
व्यक्ति को नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए। इससे न केवल शरीर स्वस्थ रह सकता है, बल्कि यकृत की चर्बी भी कम हो सकती है। वजन नियंत्रण में रखेंगे तो नॉन-अल्कोहल फैटी यकृत रोग को रोकने में मदद मिल सकती है, साथ ही बहुत सारे रोगों के फैलाव से बचाव होगा।
यकृत की बीमारी का आमतौर पर तब तक कोई स्पष्ट संकेत या लक्षण नहीं दिखता है, जब तक कि यह काफी जटिल न हो और यकृत क्षतिग्रस्त न हो जाए। इस स्तर पर, संभावित लक्षण भूख में कमी, वजन घटना और पीलिया आदि हैं।
शरीर के विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है। इसलिए यकृत प्रोटीन का उत्पादन करता है। यहां तक कि एंजाइमों और रसायनों को रक्त के थक्के बनाने में मदद करता है, जो रक्तस्राव को रोकने के लिए जरूरी होता है। जिन लोगों में यकृत अस्वस्थ होता है, उन्हें रक्त स्राव आसानी से हो सकता है। ऐसे में यदि आप अस्वस्थ चीजों का सेवन करते हैं तो इससे यकृत का कार्य प्रभावित होता है और खतरा बढ़ सकता है।

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