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जैसा करो,वैसा पाओ

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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जिंदगी में तमन्नाएं बहुत है,
पर इरादे अटल नहीं,
यदि होते इरादे अटल तो,
क्यों भटकता यहां-वहां।
इसलिए कहता जैन मद,
खुद जियो औरों को भी जीने दो।
यही भावनाएं जीवनभर भाते रहो,
और खुद जिंदगी को सार्थक करोll

मिला है मानव जन्म तो,
इसे समझो ?
क्योंकि ये मिला पिछले कर्मों से,
अब आने वाले भव के बारे में सोचो।
और इस भव में दान-दया-धर्म-सेवा आदि,
जैसे भावों को अपनाओ…
और आने वाले भव में अच्छे फल पाओll

यूँ तो जिंदगी ऐसे ही निकल जाएगी,
बिना लक्ष्य के भी जिंदगी गुजर जाएगी
पर आने वाले भव का क्या होगा…?
ये कोई नहीं तुमको बता पाएगा।

सब-कुछ तेरी करनी पर निर्भर करता है,
जीवन का चक्र,इसी तरह से चलता है।
इसलिए,सोच-समझकर,कर्म करो,
और अपने आने वाले भव के बारे में सोचोll

विधाता के इस चक्रव्यूह को,
हर किसी को भेदना पड़ता है
जो इसे सफलता पूर्वक,
भेदकर निकल जाता हैl
उसका मानव जीवन,सफल हो पाता है,
और सच्चा मानव कहलाता हैll

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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