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ज्ञान का अंधकार

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह शाश्वत सत्य है,
इसमें नहीं कोई असत्य है
अस्तित्व और विकास में,
एक समन्वय जरूरी है
प्रगति की राह पर,
यह सबसे प्यारी मजबूरी है।

अहंकार को सत्य से परे रखकर,
हम सफल नहीं हो सकते हैं
ज्ञान के अन्धकार में रहकर,
आगे नहीं बढ़ सकते हैं।

जिज्ञासा और सीखने की ललक,
सफलता और समृद्धि के लिए
सबसे सुन्दर व सुरक्षित राह है,
सफ़र में आगे बढ़ते हुए रहने के लिए
ज्ञान के अन्धकार को,
हटाना आज़ लगता अपरिहार्य है।

पढ़-लिखकर लोग अपने को,
बादशाहत कायम रखने में
सदैव आगे बढ़ते हुए रहने में,
अटूट विश्वास व आस रखते हैं
ज्ञान-दर्शन को उंचाई पर,
आगे पहुंचाने के लिए
सबसे खूबसूरत हथियार समझते हैं।

यह ज्ञान नहीं बल्कि पूर्ण अहंकार है,
दुनिया का यह सबसे कुत्सित संग
कमजोर मानसिकता से ग्रस्त,
कमजोर और दुखदाई आभार है।

हमें हर पल हर क्षण अपने ज्ञान को,
वितरित करते हुए समन्वय और
संयुक्त रूप से प्रारंभ किए उधम से,
ज़िन्दगी की राह पर चलते हुए
हमेशा आगे बढ़ते हुए रहना चाहिए।
ज्ञान दर्शन अत्यधिक होने पर,
नम्रता और सुचिता को सर्वोच्च,
स्थान देने से नहीं चुकना चाहिए।

ज्ञान का अन्धकार,
सफ़ल राह पर चलते हुए रहने में
एक बहुत बड़ी बाधा है,
अन्धकार को हमेशा दूर करते हुए
आगे बढ़ने वाले लोगों को,
सब जगह पर मिलता है सम्मान
परिवार में सब मानने लगते हैं,
कहते हैं अंश अपने परिवार का
सामाजिक समरसता के लिए,
परिवार का मानो हिस्सा आधा है।

आओ हम-सब मिलकर यहां एक,
खुशियों का सुखद संसार बसाएं
ज्ञान के अन्धकार को खुशियों से भरपूर,
ज़िन्दगी के घर-आँगन से।
सदैव के लिए,
या यूँ कहें कि,
हमेशा-हमेशा के लिए,
अपने घर-समाज से काफी दूर लें जाएं॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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