सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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अस्तित्व बनाम नारी (महिला दिवस विशेष)…
तुम सहनशील तुम सरल हृदय,
तुम पावन गंगाजल हो
चिंतन गंभीर सुरभित समीर,
तुम शीतल मन निर्मल हो।
विकसित यौवन हर्षित चितवन,
तुम सरस सघन उपवन हो
नारी मन का हो प्रबल प्रेम,
तुम जीवन का संबल हो।
विकसित पल-पल होता जीवन,
तुम निज गृह की वनिता हो
तुम वीणा की हो मधुर तान,
नारी तुम सुर सरिता हो।
देवों से तुम सदा प्रशंसित,
तुम नित्य शक्ति ललना हो।
तुमसे बढ़ कर कोई अन्य नहीं,
तुम अनुपम सृष्टि रचना हो॥