अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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नाम भगत
थे बड़े मतवाले
चाहत देश।
था क्रांतिवीर
आजादी का दीवाना
देश का वीर।
सिंह निडर
थी जिगर में ज्वाला
रखी फिकर।
नाम कमाया
वतन की खातिर
जान लुटाई।
कसम खाई
कफन बांध चले
आजादी पाई।
कष्ट भी सहे
थे अंग्रेज विरोधी
चुप ना रहे।
पहले देश
रक्षा में सर्वोपरि
बदला रूप।
थे समर्पित
हँसते चढ़े फाँसी
की जां अर्पित।
धन्य थी कोख
जो जन्मा ऐसा वीर
था देश शोक।
देश था रोया
पाई थी वीरगति
छोड़ी जो काया।
करें नमन
ऐसा वीर हुआ न
करें मनन॥