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दासतां जुबां पे ना आये…

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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गर कहीं मुलाक़ात हो जाये,
खुदा करे तेरी याद ना आयेl
ना गिले ना शिकवे,
उलफत नफरत की दासतां,
जुबां पे ना आयेll

बिखर गया अरमाने
मुहब्बत,
उजड़ी जिन्दगी
का चमन वीरानl
कारवां का अजनबी कहीं
फिर न मिल जायेll

जवां दिल की मुहब्बत
का जुनून इंतज़ार का,
लम्हा-लम्हा आशिक़ी
चाहतों खुशी का सुरूरl
कि एक बूंद में मैखाना,
समां जायेll

अब तो बैठा हूँ मैखाने में,
पूरा मैखाना भी गमगीनl
कदमों को डगमगा न पायेll

इश्क हुस्न जवां मुहब्बत,
की बीती मेरी
दुनिया जमाने को,
कभी याद ना आयेll

टूटे आईने की तरह,
टुकड़ों में बिखराl
मेरा दिल मेरी गुजारिश,
दुनिया से हर टुकड़े में
अपना चेहरा देख जायेll

परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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