अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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संघर्ष बड़ा
कठिन है जीवन
बेबस खड़ा।
रिश्ते उलझे
जीने की मारा-मारी
कैसे सुलझे ?
रोटी की चिंता
सपना है मंज़िल
रोज कमाना।
संतान खुशी
निरंतर संघर्ष
घिसी चप्पल ।
खुद से करो
दूजों से प्रेम रखो
मानवता हो।
झूठ न बोलो
सब रह जाएगा
मीठा ही बोलो।
ईश्वर सत्य
प्रार्थना में हो यकीं
फल मिलेगा ।
साथ ना जाता
सम्बन्ध निभा बस
प्रेम रहता।
करो भलाई
जियो ऐसा जीवन
न हो बुराई।
द्वैष घातक
देना सदा धरा को
बनो गगन।
खुशियाँ देखो।
जीवन को समझो
सु-पथ चलो।
घमंड दूरी
स्वाभिमान भला है
बनिए श्रेष्ठ॥