ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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हाय! मेरा दिल रोने लगा है,
धैर्य भी अब खोने लगा है।
कैसा होगा अपना भविष्य,
भ्रम-सा जी में होने लगा है।
जिस पर था विश्वास अटल,
वही अब धोखा देने लगा है।
इंसानियत की ओट में कोई,
स्वार्थ के बीज बोने लगा है।
छल कपट ईर्ष्या भरी पड़ी है,
फरेबी आँखें भिगोने लगा है।
कितना बदल गया है इंसान,
धर्म कर्म से हाथ धोने लगा है।
देख दुनिया की धारा जगत में,
विश्वास भी अब खोने लगा है॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।