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दु:ख-सुख में ढाल है नारी

डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती
बिलासपुर (छतीसगढ़)
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अस्तित्व बनाम नारी (महिला दिवस विशेष)…

सृजन है नारी,
सजनी है नारी
अन्नपूर्णा है नारी,
जन्मदात्री है नारी।

शक्ति है नारी,
भक्ति है नारी
कभी मोहिनी तो,
कभी दामिनी।

घर की शोभा नारी,
बाहर की आभा नारी
सुर, ताल, नृत्य में पारंगत नारी,
पाक कला हो या ललित कला
हर दिशा में परिपूर्ण नारी।

खेल-कूद हो या देश की रक्षा
इसमें भी आगे है नारी
वैज्ञानिक हो या फिर व्यवसायी,
हर क्षेत्र में विदुषी है नारी।

लाड़ली बिटिया या,
हमारी प्यारी बहुरानी
घर में उजियारा करती नारी,
जीवन खुशियों से भरती नारी।

दु:ख और सुख में ढाल है नारी,
हरफनमौला मिसाल है नारी
प्रीत की डोर, ममता की छाँव,
प्रेम का अटूट बंधन है नारी।

घर की लक्ष्मी हैं नारी,
लाती समृद्धि सारी
माँ सरस्वती का रूप नारी,
विद्या, बुद्धि, सुख-शांति लाती।

पूजनीय, वंदनीय है,
हर रुप में नारी।
करें सभी मान-सम्मान इनका,
ध्यान रखें, प्रसन्न रहे हर नारी॥

परिचय- शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राध्यापक (अंग्रेजी) के रूप में कार्यरत डॉ. श्राबनी चक्रवर्ती वर्तमान में छतीसगढ़ राज्य के बिलासपुर में निवासरत हैं। आपने प्रारंभिक शिक्षा बिलासपुर एवं माध्यमिक शिक्षा भोपाल से प्राप्त की है। भोपाल से ही स्नातक और रायपुर से स्नातकोत्तर करके गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर) से पीएच-डी. की उपाधि पाई है। अंग्रेजी साहित्य में लिखने वाले भारतीय लेखकों पर डाॅ. चक्रवर्ती ने विशेष रूप से शोध पत्र लिखे व अध्ययन किया है। २०१५ से अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय (बिलासपुर) में अनुसंधान पर्यवेक्षक के रूप में कार्यरत हैं। ४ शोधकर्ता इनके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं। करीब ३४ वर्ष से शिक्षा कार्य से जुडी डॉ. चक्रवर्ती के शोध-पत्र (अनेक विषय) एवं लेख अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। आपकी रुचि का क्षेत्र-हिंदी, अंग्रेजी और बांग्ला में कविता लेखन, पाठ, लघु कहानी लेखन, मूल उद्धरण लिखना, कहानी सुनाना है। विविध कलाओं में पारंगत डॉ. चक्रवर्ती शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं में सक्रिय सदस्य हैं तो सामाजिक गतिविधियों के लिए रोटरी इंटरनेशनल आदि में सक्रिय सदस्य हैं।