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दुनिया ही हम लुटा बैठे

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) 
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दिल ह़सीनों से क्या लगा बैठे।
दिल की दुनिया ही हम लुटा बैठे।

सारी दुनिया में हो गए रुसवा,
ह़ाले दिल उनको क्या सुना बैठे।

लाल पीले वो हो गए पल में,
आईना उनको क्या दिखा बैठे।

उल्टे हम पर ही लग गई तोहमत,
उनको सच बात क्या बता बैठे।

एक शम्अ़ ए वफ़ा जला कर हम,
सब पतिंगों के पर जला बैठे।

एक-दूजे से ह़ाले ग़म कह कर,
हम उन्हें; वो हमें रुला बैठे।

हम ‘फ़राज़’ उनसे दिल लगी करके,
ज़िन्दगी को सज़ा बना बैठे।

उठना मुश्किल हुआ फ़राज़ अपना,
उनके पहलू में क्या ज़रा बैठे॥

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