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देश की नई पहचान बनेगा उज्जैन साहित्य महोत्सव-श्री फिरोजिया

उज्जैन (मप्र)।

भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के लिए अनेक आक्रमण हुए, किंतु इस देश ने पूरी दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के माध्यम से बांधकर रखा। नए दौर में योग को विश्व स्तर पर महिमा मिली है। यह साहित्य महोत्सव इस देश की नई पहचान बनेगा।
    यह बात उज्जैन साहित्य महोत्सव का शुभारंभ करते हुए उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि सांसद अनिल फिरोजिया ने कही।
इस महोत्सव के ४ सत्रों में साहित्य के परिदृश्य पर विमर्श, रचना पाठ, लेखक से संवाद और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी किया गया। कृष्ण बसंती शैक्षणिक एवं सामाजिक जनकल्याण समिति (उज्जैन) द्वारा अक्षर वार्ता शोध पत्रिका, विक्रम विश्वविद्यालय, महर्षि पाणिनि संस्कृत वैदिक विश्वविद्यालय (उज्जैन) के संयुक्त महोत्सव का शुभारंभ अभिरंग नाट्यगृह (कालिदास अकादमी) में किया गया। विशिष्ट अतिथि मध्यप्रदेश शासन के पूर्व राज्यमंत्री दर्जा रमेश शर्मा, वरिष्ठ ललित निबंधकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, भारतीय उच्चायोग सुवा फिजी के वरिष्ठ अधिकारी आशुतोष द्विवेदी, विक्रम विवि के कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक, कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, सहायक पुलिस महानिरीक्षक डॉ. नितेश भार्गव ने उद्घाटन किया।
महोत्सव में नर्मदा प्रसाद उपाध्याय (इंदौर) ने कहा कि साहित्य और कला की दृष्टि समग्रता की दृष्टि है। साहित्य की विभिन्न विधाओं और कला रूपों के मध्य संवाद आज की आवश्यकता है। साहित्य महोत्सव उज्जैन को नए दौर में सांस्कृतिक जगत में स्थापित करने का सार्थक उपक्रम सिद्ध होगा। श्री उपाध्याय ने व्यक्ति व्यंजक और ललित निबंध के स्वरूप की व्याख्या करते हुए कहा कि मानव रचित सौंदर्य ललित है। उन्होंने अपने निबंध ‘बिन गाए गीत’ का पाठ करने के साथ ही लेखक से संवाद कार्यक्रम में भाग लिया।
आशुतोष द्विवेदी, रमेश शर्मा, प्रो. शर्मा और डॉ. पुराणिक ने भी विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र के बाद विमर्श सत्रों में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शिव चौरसिया, श्री उपाध्याय, लघुकथाकार संतोष सुपेकर, व्यंग्यकार डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा, डॉ. हरीश कुमार सिंह, सुश्री तृप्ति मिश्रा (महू) आदि ने विचार व्यक्त किए। ओपन माइक सत्र में कवियों ने काव्य पाठ किया। संचालन डॉ. मोहन बैरागी ने किया।

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