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धरती और आसमान

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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जब भी कुछ फ़ुरसत मिलती है
कुछ आसमान चढ़ लेते हो,
अम्बर की गर्वित ऊँचाई
को थोड़ा कम कर देते हो।

सपनों के उड़ते बादल को
डोरी से खींच धरातल पर,
साँचे में उसको ढाल-ढाल
कर मूर्त, बना देते प्रस्तर।

विस्मित है यह ब्रह्मांड सकल
लखकर तेरा पुरुषार्थ प्रबल,
ऐसी उड़ान, ऐसी तेजी
रे मनुज ! तुझे किसने दे दी ?

संसृति ने नग्न उतारा था
सूनी, उजाड़ इस धरती पर,
ज्यों किसी राख के ढेर तले
कोई चिंगारी हो भीतर।

पर कौन जानता है, किस
चिंगारी में क्या ज्वाला बसती ?
किस छाती में, किन तूफ़ानों की
अंगड़ाई लेती हस्ती ?

सपनों की छाती में लेती
हो अगर उड़ानें अँगड़ाई,
तो रोक नहीं सकती उसको
पर्वत की कोई ऊँचाई।

यदि यहाँ दरारों से पत्थर की
कोई पतली धार बही,
कुछ दूर निकलकर बनती है
वेग से उफ़नती नदी कहीं।

जब बूँद-बूँद, घट-घट भरकर
यह सिंधु उफ़नता है आगे,
तो ज्ञात हुआ है सपनों से
तुम निकल गए कितना आगे।

अब पता नहीं, तुम इस दुर्लभ
ऊँचाई का क्या करते हो ?
सीढ़ी फ़िर नई बनाते हो
या धरती पर पग धरते हो।

तुमने अपने संधानों से
धरती को बहुत बदल डाला,
पहले खुद नंगे आए थे
अब इसको नंगा कर डाला!

अच्छा है, छूना आसमान
अच्छा है चढ़ना नित ऊपर,
पर इसका भी तो ध्यान रहे
हों कदम हमारे धरती पर!

जिस दिन पैरों के नीचे से,
यह धरा खिसकती जाएगी।
उस दिन इस धरती की तुझको,
अहमियत समझ में आएगी॥

परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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