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धरा…बचाइए

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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धरा है सबकी माता
इससे सबका नाता।
चंदन इसकी माटी
इसको बचाइये॥

खेत खलिहान वन
नदी गिरी उपवन।
प्रकृति के अंग सभी
स्वच्छता बनाइए॥

जनसंख्या बढ़ रही
सुविधाएं घट रही।
धरा पर बोझ बढ़ा,
नियंत्रण पाइए॥

प्रदूषण बढ़ रहा
वन भी सिमट रहा।
समय बचा है अभी
सब सुधर जाइए॥

परिवार छोटा रखें,
जीवन का स्वाद चखें।
जल वायु शुद्ध रहे
वृक्ष भी लगाइए॥

पानी की है मची त्राहि
पृथ्वी भी है गरमाई।
नदियाँ तड़ाग सूखे
जल को बचाइए॥

जल पवन शुद्ध हो
न धरा ताप वृद्ध हो।
प्रकृति का संरक्षण
सब अपनाइए॥

मिलके लगाओ वृक्ष
जल को बनाओ स्वच्छ।
बून्द बून्द अमृत है
व्यर्थ न बहाइए॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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