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ध्वज पर न्योछावर हम..

डॉ.दिलीप गुप्ता
घरघोड़ा(छत्तीसगढ़)
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न भी घर आए तो दोस्त-सा सम्मान देते हैं,
प्रेम से मांगे एक तो दो सामान देते हैं…
पर लहराते तिरंगे पर टेढ़ी आँख करे कोई,
तो चीर कर छाती लहू प्राण ले लेते हैं…l
जय भारती,जय भारती,जय भारती,
जय भारती,जय भारती,जय भारतीll

फौलाद का दिल-हौंसला चट्टान रखते हैं…
माँ भारती के कदमों में हम जान रखते हैं,
हर एक कतरा लहू का ध्वज पर निछावर है…
सर पे कफ़न रग-रग में हिंदुस्तान रखते हैं।

जय भारती,जय भारती,जय भारती,
जय भारती,जय भारती,जय भारतीll

अब घुस के देखो चीन पाकिस्तान मेरे घर…
खुले हुए हैं वीरों के बन्दूक औ तेवर,
जांघों में देती थाप अब कश्मीर की गलियाँ,
जिंदा न छोड़ें एक भी…जुबान रखते हैंll

जय भारती,जय भारती,जय भारती,
जय भारती,जय भारती,जय भारतीll

फूलों की वादियों को श्मशान बना रख्खे थे…
नाजुक प्रदेश लूटने अरमान बना रख्खे थे,
हिंदुस्ता के शेर तब नियम से बंधे थे…
हर बखत अब बारूदी…सामान रखते हैंll

जय भारती,जय भारती,जय भारती,
जय भारती,जय भारती,जय भारतीll

तुमने जो मारे धोखे से अब तक हमारे वीर…
दिल में छुपा रख्खे हैं बदले भावना के तीर,
पर हम नहीं कायर जो गोली…पीठ मारेंगे…
चाहते घुस के..नेस्तनाबूद पाकिस्तान रखते हैंll

जय भारती,जय भारती,जय भारती,
जय भारती,जय भारती,जय भारतीll

एक बार हमको छूट जो मिल जाए तो समझो…
पल भर में ही नापाक पूरा साफ ही समझो,
बारूद की भट्ठी हैं हम…विस्फोट जो हुए…
हिम्मत-मिटाने…पाक के..निशान रखते हैं॥

परिचयडॉ.दिलीप गुप्ता का साहित्यिक उपनाम `दिल` है। १७ अप्रैल १९६६ को आपका जन्म-घरघोड़ा,जिला रायगढ़ (छग) में हुआ हैl वर्तमान निवास घरघोड़ा स्थित हनुमान चौक में ही हैl छत्तीसगढ़ राज्य के डॉ.गुप्ता ने एम.डी.(मेडीसिन)और डीएसी की शिक्षा हासिल की हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी चिकित्सा कार्य करते हैंl सामाजिक गतिविधि में अग्रणी होकर असहायों,गरीबों,बीमारों की हरसम्भव सहायता के साथ ही साहित्यिक सेवाएं-जन जागरण में भी तत्पर रहते हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल तथा कविताएं हैंl प्रकाशन में खुद की `हे पिता`(ओ बाबूजी)पुस्तक व करीब 20 संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई है। आपको प्राप्त सम्मान में-कला श्री २०१६,डॉ.अब्दुल कलाम सम्मान सहित साहित्य अलंकरण २०१६ और दिल्ली से `काब्य अमृत` सम्मान आदि ख़ास हैंl २०१६ में कवि सम्मेलन में `राष्ट्रीय सेवा सम्मान` ४ बार प्राप्त किया है। डॉ.दिलीप की लेखनी का उद्देश्य समाज और संसार से बुराइयों को समाप्त कर अच्छाइयों से जन-जन को वाकिफ कराना है।

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