बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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बहुत दिनों के बाद आज फिर,
लिखने का मन करता है।
जीत-हार की बातें करतें,
अब भी मन डर छलता है।
जीत नहीं यह मोदी की है,
न हीं कमल निसान की।
देश-विदेशी गत घावों को,
मत का मल्हम भरता है।
जीत किसी की नहीं जीत यह,
भारत के मतदाता की।
लोकतंत्र के रक्षक जन की,
भारत भाग्य विधाता की।
बंदरबाँट रिवाजें तोड़ी,
स्वस्थ परम्परा अजमाई।
श्रम सेवा की जीत मान लो,
सैनिक व अन्नदाता की।
विश्व दौड़ में भारत है अब,
चाहत दृढ़ सरकार थी।
जन गण मन की यही भावना,
करनी अभी साकार थी।
राष्ट्रवाद की पीकर हाला,
उन्नत पथ पर बढ़ना है।
समय चूक पछताना पड़ता,
इसीलिए दरकार थी।
इसीलिए जनमत जीता है,
अब कुछ नव आगाज करो।
आतंकी ताकत को तोड़ो,
जन-जीवन आबाद करो।
बढ़े दीप्ति अपने भारत की,
धूप-छाँव सब सह लेंगे।
दल दलदल से ऊपर उठकर,
मिलकर नई उड़ान भरो।
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl