डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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तू मेरी नन्हीं गुड़िया रानी है,
चाहत है, तू हरदम चहके
दूर-दूर तेरी खुशबू महके,
तुमसे फिर शुरू कहानी है।
तू कली है मेरे बाग की,
तुमसे घर मेरा रौशन है
तू जब भी हँसे, ऐसा लगे,
मेरे आँगन बहार का मौसम है।
मैं हरदम तुझको हँसते देखूँ,
गम ना कभी तेरे पास आए।
दूँ दुआ, तेरी दूर बला हो,
मेरी भी उमर, तुझे लग जाए॥