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नम आँखें

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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नम आँखें हैं…देख कर,
यह युद्ध घमासान
सारा विश्व है,
आज़ इस कारण,
खूब परेशान।

क्या यही है,
इन्सानियत की पहचान ?
नहीं..नहीं..नहीं,
युद्ध घमासान का यह मंजर
मानवता का कर रहा है,
खूब अपमान।

नागरिकों की मौत,
टूटती इमारतें
खंडहर होती बड़ी-बड़ी कोठियां,
हर जगह बहुत खौफ है
क्यों नहीं अब यहां,
शक्तियों के सरताज,
करते कोई रोक-टोक हैं।

यू.एन.ओ. आज़ क्यों,
बिल्कुल चुप है यहां
अब नहीं कह सकते हैं,
इस संस्था को
उत्सव मूर्ति का स्वरूप,
अब यहां।

बेकसूर लोगों की,
मौतें अब एक प्रहार है
ज़िन्दगी के सफ़र के,
इस खेल में अब
यहां सब लोग,
दिखते गुनाहगार हैं।

अपनों को देखने के लिए,
आँखें तरस रही है यहां
नम आँखें सब दुःख बयां,
कर रहीं हैं यहां-वहां।

युद्ध भूमि कब तक बनती रहेगी,
अपनी यह सुन्दर धरा
मानवता को शर्मसार,
कर रही है युद्ध खूब बड़ा।

विश्व शांति खुशहाली,
उन्नति प्रगति व सदैव
आगे बढ़ने और,
विकास यात्रा में
आगे रहने के लिए,
युद्ध नहीं शान्ति
बहुत जरूरी है,
बातचीत और सद्भाव से
हर मसले को खत्म कर,
जनमानस के हितों की
सुगंध सुरक्षित,
रखने के लिए
अब मजबूती से क़दम,
बढ़ाने की मजबूती से
पहल अब बन चुकी
हम सबकी मजबूरी है।

नम आँखें फिर नम न हो,
यह प्रयास होना चाहिए
विश्व स्नेह और प्यार का,
संसार बनें हम।
सबको हृदय से मजबूत उद्यम,
दिल से करना चाहिए॥

परिचय-पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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