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नारी की श्रद्धा

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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नारी तुम केवल एक श्रद्धा हो,
नारायण है परछाई तेरी
दुर्गा बन असुरों का संहार किया,
कल्याणी बन सुर को तार दिया।

नारी है देश प्रेम की गौरव-गाथा,
नारी है विश्व-विधाता,ज्ञान पताका।
नारी के बल का तौल नहीं,सतीत्व है पहचान,
त्रिदेव झूले पलने,बनकर बाल भगवान।

नारी ममता की मूरत,करूणा का सागर,
आँखों से झरे प्रेम की धारा,अधरों पर मुस्कान।
नारी प्रेम की मूरत,मूरत में प्रेमी की सूरत,
गृहलक्ष्मी-गृहशोभा,श्रृद्धा की है दिव्यता।

नारी की पूजा है जहाँ,अतिथि है देव समान,
कुल राष्ट्र हो विकसित,कहते हैं वेद पुराण।
नारी की गरिमा को ठेस नही पहुँचानी है,
वीर शिवा की दृष्टि हमें बनानी है।

मानो मेरा कहना,नारी निन्दा ना करना,
नारी-नर की खान,नारी ही जन्मती भक्त-भगवान।
नारी तो एक श्रद्धा है,आराधना की मूरत,
भक्ति-भाव से नारी का हो समान।
तब ही बने देश महान,नारी है विश्व की पहचान॥

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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