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नारी सम्मान जरूरी

मनीषा मेवाड़ा ‘मनीषा मानस’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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‘अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ स्पर्धा विशेष…………………


“महके जिससे सारी प्रकृति और घर-आँगन,
रिश्तों को पुलकित करता वो है नारी मन।”
८ मार्च को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ मनाया जाने वाला है। महिलाओं के उत्कृष्ट चरित्र का बखान करने की रस्म अदायगी की जायेगी। उसके सम्मान में अनेक कविताएँ और स्लोगन रच दिये जायेंगे। अनेक मंचों पर उनके सम्मान के आयोजन किये जायेंगें,पर जरा एक मिनट रुकिए और सोचिए-नारी के अन्तर्मन को पढ़ने का प्रयास किजिए। क्या वो यह सब पाकर खुश है ? तो इसका जवाब है बिल्कुल नहीं, क्योंकि इस दिन लोग सिर्फ एक परम्परा का निर्वाह करते नजर आते हैं,बाकी समय हम देखें तो उसकी संवेदनाओं को समझने वालों का अभाव-सा होता है। नारी को प्रकृति का अमूल्य उपहार माना जाता है,पर क्या उसे वास्तव में उपहार की तरह सहेज कर रख पाते हैं ? नहीं। उसकी अहमियत सिर्फ वहीं तक है,जहाँ तक वो अपनी उपयोगिता सिध्द कर दे। यदि वो उपयोगी है तो उसे महत्व दिया जाता है,अन्यथा नाना प्रकार से उसकी व्यावहारिक उपेक्षा की जाती है। उसकी संवेदनाओं को समझने वाले आज नगण्य से हैं।
प्रकृति का दिया हर पदार्थ अपने- आपमें महत्वपूर्ण है। प्रकृति ने कभी किसी ऐसे तत्व का निर्माण नहीं किया,जो महत्व का ना हो। हम ही उसका महत्व नहीं समझ पाते। महिला दिवस पर महिलाओं के सम्मान में जो ढोल पीटे जाते हैं,वो सम्मान सबकी दृष्टि में चिर स्थायी क्यों नहीं होता। उसका और उसकी भावनाओं की जाने -अनजाने में सदैव उपेक्षा की जाती है।
नारी की उत्कृष्टता को स्वीकार करना और उसके सम्मान को स्थायी बनाये रखना ही सही मायने में महिला दिवस मनाना सार्थक माना जायेगा।
“प्रकृति की गोद खिलता पुष्प है नारी। इसे सहेजना सबका परम कर्तव्य है। उपेक्षा की आँच में यह मुरझा जायेगा और प्रेम के स्पन्दन से यह सम्पूर्ण सृष्टि को सुन्दर बनाकर महका देगा।”

परिचय-श्रीमति मनीषा मेवाड़ा का साहित्यिक मनीषा मानस है। जन्म तारीख ३ अगस्त १९८१ और जन्म स्थान-झाबुआ है। वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश) में और स्थाई निवास आष्टा जिला-सीहोर है। हिन्दी का भाषा ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश वासी मनीषा मानस ने बी.ए.(हिन्दी साहित्य),एम.ए. (अर्थशास्त्र-लघु शोध प्रबन्ध के साथ) और पीजीडीसीए की शिक्षा हासिल की है। इनका कार्यक्षेत्र-शिक्षक का है। सामाजिक गतिविधि में जरुरतमंद बच्चों को सामाजिक संगठन से हरसम्भव मदद दिलाने का सफल प्रयास करती हैं। लेखन विधा-लेख एवं काव्य है। आपकी विशेष उपलब्धि-महाविद्यालय जिला स्तर प्रतियोगिता में रचनात्मक लेखन में चयन तथा कार्यक्षेत्र में जिला स्त्रोत समूह के रुप में कार्य का अवसर है। लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी लेखन में रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचन्द और प्रेरणापुँज-गुरुजन हैं। देश और हिन्दी भाषा पर आपका कहना है-“हिन्दी भाषा की समृद्धि ही देश विकास के चिन्तन को प्रमुख आधार प्रदान करती है।”

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