कुल पृष्ठ दर्शन : 323

You are currently viewing नारी हर रूप में प्यारी

नारी हर रूप में प्यारी

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
********************************

अस्तित्व बनाम नारी (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष)…

महिला है अब अनुशासित सख्त,
नारी रूप में स्वस्थ आश्वस्त, पुरूष भक्त
दादी, माता, भाभी, बहना, चाची, बुआ, बिटिया तैयार रहे हर वक्त।

सबकी महिमा अति प्यारी, दादी हमें बड़ी थी प्यारी,
लुटाती रही ममता अपनी अद्भुत सारी, उनके सभी आभारी
माँ की ममता का हर बेटा, बेटी अनन्य जगत पुजारी,
बड़ी बहना भी मातृ स्वरूप की उत्तराधिकारी,
भाभी जी भी बन जाती हैं घर-घर की उपकारी।

चाची को कम न समझो वो मातृ शक्ति की प्रभारी,
बिटिया को देखो सैन्य जांबाज़ उड़नपरी हमारी
भाभी जी प्रशासनिक सेवा में बनी बड़ी अधिकारी,
साली जी को कम न आँको निजी कंपनी की उच्च अधिकारी।

माताजी भी आगे बढ़ गई, बनी अब वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी
बहन हमारी प्रधानाचार्य, मुम्बई फिल्म में दिखती अदाकारी,
कहीं है बिटिया भारतीय पुलिस सेवा में जिला एस.पी. प्रभारी।

दुनिया देख रही है नारी की अंतरिक्ष पर किलकारी,
वायु, जल, थल, प्रदेश पुलिस में अब बढ़ी गर्जना नारी
डॉक्टर, शिक्षिका, प्राध्यापक, वैज्ञानिक, खेलकूद में बढ़ी है हिस्सेदारी।

पार्षद, विधायक, सांसद, मंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति करती बराबरी,
कब अबला थी, कब सबला हुई ? यह गलत धारणा सारी दुर्गा शक्ति,
लक्ष्मीबाई की देशभक्ति से प्रेरित हैं महिला सारी,
ऐसे ही माताओं के स्नेह, कृपा से पुरूष हो रहे ब्रम्हचारी।

अबला माता कह, अबला पुरूष भी यह एकाकीपन लाचारी,
दो महिला के आत्मबल से कैसे कर सकता मक्कारी
मातृ कोख से जन्मा बंदा कैसे-क्यों करता गद्दारी!
हर महिला की रक्षा, सुरक्षा यह पुरूष की जिम्मेदारी।
विश्व सुंदरी, विद्यादायिनी, सुकोमल हृदय प्यारी है हर नारी॥

परिचय-सिंदरी (धनबाद, झारखंड) में १४ दिसम्बर १९६४ को जन्मे संजय सिंह का वर्तमान बसेरा सबलपुर (धनबाद) और स्थाई बक्सर (बिहार) में है। लेखन में ‘चन्दन’ नाम से पहचान रखने वाले संजय सिंह को भोजपुरी, संस्कृत, हिन्दी, खोरठा, बांग्ला, बनारसी सहित अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान है। इनकी शिक्षा-बीएससी, एमबीए (पावर प्रबंधन), डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल) व नेशनल अप्रेंटिसशिप (इंस्ट्रूमेंटेशन डिसिप्लिन) है। अवकाश प्राप्त (महाप्रबंधक) होकर आप सामाजिक कार्यकर्ता, रक्तदाता हैं तो साहित्यिक गतिविधि में भी सक्रियता से राष्ट्रीय संस्थापक-सामाजिक साहित्यिक जागरुकता मंच मुंबई (पंजी.), संस्थापक-संरक्षक-तानराज संगीत विद्यापीठ (नोएडा) एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी.एन. क्लब (मुंबई) सहित अन्य संस्थाओं से बतौर पदाधिकारी जुड़ें हैं, साथ ही पत्रकारिता का वर्षों का अनुभव है। आपकी लेखन विधा-गीत, कविता, कहानी, लघु कथा व लेख है। बहुत-सी रचनाएँ पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हैं, साथ ही रचनाएँ ४ साझा संग्रह में हैं। ‘स्वर संग्राम’ (५१ कविताएँ) पुस्तक भी प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपको
महात्मा बुद्ध सम्मान-२०२३, शब्द श्री सम्मान-२०२३, पर्यावरण रक्षक सम्मान-२०२३, श्रेष्ठ कवि सम्मान-२० २३ सहित अन्य सम्मान हैं तो विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कई बार उपस्थिति, देश के नामचीन स्मृति शेष कवियों (मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र आदि) के जन्म स्थान जाकर उनकी पांडुलिपि अंश प्राप्त करना है। श्री सिंह की लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का उत्थान, राष्ट्रीय विचारों को जगाना, हिन्दी भाषा, राष्ट्र भाषा के साथ वास्तविक राजभाषा का दर्जा पाए, गरीबों की वेदना, संवेदना और अन्याय व भ्रष्टाचार पर प्रहार है। मुंशी प्रेमचंद, अटल बिहारी वाजपेयी, जयशंकर प्रसाद, भारतेंदु हरिश्चंद्र, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर, किशन चंदर और पं. दीनदयाल उपाध्याय को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाले संजय सिंह ‘चंदन’ के लिए प्रेरणापुंज- पूज्य पिता जी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, महात्मा गॉंधी, भगत सिंह, लोकनायक जय प्रकाश, बाला साहेब ठाकरे और डॉ. हेडगेवार हैं। आपकी विशेषज्ञता-साहित्य (काव्य), मंच संचालन और वक्ता की है। जीवन लक्ष्य-ईमानदारी, राष्ट्र भक्ति, अन्याय पर हर स्तर से प्रहार है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“अपने ही देश में पराई है हिन्दी, अंग्रेजी से अंतिम लड़ाई है हिन्दी, अंग्रेजी ने तलवे दबाई है हिन्दी, मेरे ही दिल की अंगड़ाई है हिन्दी।”