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नींव सफलता की यही

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

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मेरा विद्यार्थी जीवन स्पर्धा विशेष ……..

मात-पिता का एक था सपना,मैंने बना लिया वह अपना,
पढ़-लिख कर मैं कुछ बन जाऊँ,सबजन का मैं मान बढ़ाऊँ।

शिक्षा इसके लिए जरूरी,जो मन से मैंने की पूरी,
शुरू हुआ विद्यार्थी जीवन,लगा दिया अपना यह तन मन।

मैं दिन-रात मेहनत करता,कभी नहीं पढ़ने से डरता,
आर्थिक हालात नहीं अच्छे,लक्ष्य नेक थे मेरे सच्चे।

खाली समय नहीं गंवाया,पढ़ने में मन सदा लगाया,
शीश नवां विद्यालय जाता,सही समय पर वापस आता।

मैं गृहकार्य सदा ही करता,सदा स्वच्छ गणवेश पहनता,
सदा परीक्षा में जान लगाता,प्रथम स्थान पाता ही पाता।

गुरू कृपा रहती थी मुझ पर,मार्ग दर्श मिलता था जी भर,
हो गई स्कूल शिक्षा सारी,फिर आई कालेज हमारी।

हँसी-खेल में हो गया,स्कूली शिक्षा ज्ञान,
बड़े विश्वविद्यालय गया,मिला बड़ा सम्मान।

सोचा था अभियंता बनना,खूब देश की सेवा करना,
करी मेहनत मिला वजीफा,बोझ हटा मेरे दिल का।

अच्छे महाविद्यालय का अवसर,मेरी झोली में था भरकर,
हास्टल की वह बात सुहानी,कैसे भूलूँ गजब कहानी।

सुख-दु:ख में सब थे साथी,हर एक था उत्तम विद्यार्थी,
वो घर-सा माहौल मिला था,जीवन अनुभव तभी खिला था।

लाइब्रेरी में भी पढ़ता,प्रतियोगिता दम भरता,
कभी नहीं मस्ती मौज व्यसन,मेरा जीवन था अनुशासन।

अंतिम वर्ष हुआ था भारी,पर पूरी मेरी तैयारी,
जम कर की थी खूब पढ़ाई,साक्षात्कार सफलता पाई।

मनचाही नौकरी मिली थी,राह जिंदगी लगी सजी- सी,
सफल हुआ विद्यार्थी जीवन,याद करूँ हरषे है मन।

मात-पिता आशीष था,गुरू जनों से ज्ञान,
शिक्षा ने वह सब दिया,जो चाहे इन्सान।

विद्यार्थी जीवन मुझे,सदा रहे है याद,
नींव सफलता की यही,कभी मिले ना मात॥

परिचय–संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

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