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नुमाइश नहीं है मोहब्बत

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

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किसी से मोहब्बत करना,
बहुत अलग बात है।
मोहब्बत कर के दिल में,
उतर जाना बड़ी बात है।
मगर लोगों ने मोहब्बत को,
एक नुमाइश बना दिया।
आज इससे तो कल उससे,
करके दिखा दिया॥

मोहब्बत कभी भी नुमाइश की,
चीज हो नहीं सकती।
जो ऐसा करते हैं,
वो मोहब्बत कर नहीं सकते।
मोहब्बत वो बंधन है,
जो दिल से निभाना पड़ता है।
अगर मोहब्बत समझना है,
तो पढ़ो राधा-कृष्ण,
मीरा-कृष्ण के चरित्रों को।
मोहब्बत का सही अर्थ,
समझ तुम्हें आ जाएगा॥

मोहब्बत को जो लोग,
नुमाइश समझते हैं।
जिंदगी उनकी वीराना,
एकदम हो जाती है।
तभी तो सब होते हुए भी,
अकेला घुट-घुट कर जीता है।
खुद अपनी जिंदगी को,
नरक वो ही बनाता है॥

ये दुनिया बहुत सुंदर है,
इससे जीना तो सीखो।
मोहब्बत करके लोगों के,
दिल में बसना तुम सीखो।
तुम्हारी जिंदगी पूरी,
बदल जाएगी एक दिन।
अमर हो जाओगे तुम,
इतिहास के पन्नों में॥

परिचय-संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

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