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परस्पर हित की कामना ही सौहार्द

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

सौहार्द का उद्गम या उद्भव संस्कृत से है,जिसका अर्थ है हृदय की सरलता या सद्भाव जो हमें माँ व उसके बच्चों के बीच में तो देखने मिलता ही है, लेकिन इसके अलावा आपसी मित्रता में भी देखने मिलता है। अब आपसी मित्रता २ व्यक्ति के बीच भी हो सकती है और ज्यादा के बीच भी। जब २ या ज्यादा समूहों के बीच देखने में आती है,तब उसे हम सामाजिक सौहार्द मानते हैं और यही जब २ या ज्यादा धार्मिक संप्रदाय या मतावलंबियों के बीच देखने में आती है,तब उसे साम्प्रदायिक सौहार्द मानते हैं।
माँ व उसके बच्चों के बीच सद्भाव पर तो हम सब खूब बढ़िया से जानते ही हैं। ये पंक्तियाँ ही अपने- आप सब-कुछ बयाँ कर रही हैं-
‘खुद की हालत पर कभी,माँ करती न मलाल।
हर क्षण मन में सोचती,सुखी रहे बस लाल॥’
अब सबसे पहले दो व्यक्तियों के बीच वाली मित्रता पर संक्षिप्त चर्चा-ज्यादातर यह मित्रता हम उम्र वालों के बीच ही पनपती है। मित्र होने का अर्थ यह कदापि नहीं होता कि वे साथ पढ़ते हों,साथ रहते हों या एक जैसा काम करते हों,बल्कि २ जनों के बीच आपसी सौहार्द की भावना हो,यानि परस्पर एक-दूसरे के हित की कामना तथा सुख,उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील होना ही मित्रता है।
यदि दो से ज्यादा व्यक्तियों के बीच वाली मित्रता की बात करें तो यहाँ समानता की भावना भी होती है और आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध भी होते हैं। यहाँ भी परस्पर एक-दूसरे के प्रति हित की कामना तथा एक-दूसरे के सुख,उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील रहते हैं। इसको समझाने के लिए एक उदाहरण- वॉट्सऐप समूह के सदस्यों का नियम था कि नित्य हर सदस्य किसी भी प्रकार का एक सन्देश प्रदर्शित करेगा,ताकि सब समझ जाएँ कि समूह में सब कुशल-मंगल चल रहा है। एक दिन एक बुजुर्ग महिला,जो पारिवारिक कारणों के चलते अकेली रह रही थी,तबीयत बिगड़ने पर उसने आपसी सहमति अनुसार समूह सदस्यों को सूचित कर दिया। फिर समूह वालों में से कुछ लोग उसके यहाँ पहुँचे,तब उन्हें समझ में आया कि इन्हें तुरन्त अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक है। बिना विलम्ब किए उस महिला को अस्पताल पहुँचा कर इलाज शुरू करवा दिया गया। इसी बीच सभी ने फोन पर ही बातचीत कर ४-४ व्यक्तियों का समूह बनाकर उसकी पूरे दिन की देखभाल की व्यवस्था बना ली। २ दिन बाद जब उस महिला का लड़का अस्पताल पहुँचा,तब उसने वहाँ उपस्थित लोगों से परिचय पूछा,क्योंकि वह उन सभी को पहली बार देख रहा था। तब वॉट्सऐप समूह वाला तथ्य जान कर उसने उन सभी द्वारा प्रदर्शित सौहार्द पर धन्यवाद जताया।
अब सामाजिक सौहार्द को समझ लें,जो अनेक परिवारों के समूह के बीच आपसी भाईचारा को दर्शाता है। इसके अन्तर्गत भी आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध तो होते ही हैं,साथ में यहाँ भी समानता की भावना स्पष्ट परिलक्षित होती है,लेकिन यह अनेक रूपों में विकसित हो सकता है,जैसे-मोहल्ले के परिवारों के बीच,एक विशेष वर्ग के परिवारों के बीच इत्यादि इत्यादि। याद दिला दूँ जब भी किसी भी परिवार में शादी हो या अन्य किसी प्रकार का आयोजन वाला मौका,हम सभी आपसी सौहार्द की भावना से ही भागीदारी निभाते हैं,ताकि आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हो जाए।
अब साम्प्रदायिक सौहार्द को जान लेते हैं,जो २ या ज्यादा धार्मिक सम्प्रदाय या मतावलंबियों के बीच देखने में आती है। जहाँ सभी मिलकर आपसी बैर, शत्रुता,दुर्व्यवहार,दुर्भाव आदि से दूर रहने की चेष्टा करते मिलेंगे,यानि एक-दूसरे के धर्म का आदर करते हुए सभी तरह के त्यौहारों में पूरे उल्लास व जोश के साथ भागीदारी निभाते हुए मिलेंगे। त्यौहार समापन पर सभी एक-दूसरे से अपने-अपने तरीके से अभिवादन करते मिलेंगे,साथ ही बड़े-बुजुर्ग लोग छोटों को उपहार देते भी दिखेंगे। इसके अलावा सभी अपने त्यौहारों में बनी मिठाइयाँ आपस में बांटते भी नजर आएंगे।
यह तो कहा ही जा सकता है कि,सौहार्द ही हम सभी को बाँध कर रखता है विशेषकर साम्प्रदायिक सद्भाव हर देश के लिए आवश्यक है। अगर देश में साम्प्रदायिक शांति और सद्भाव है,तो देश के नागरिक खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएंगे,साथ ही साथ देश को समृद्ध,शक्तिशाली व विकसित बनाने में अपना भरपूर योगदान दे पाएंगे। इसलिए हर नागरिक के लिए देश में शांति और सदभाव के महत्व को समझना परमावश्यक है। इन्हीं तथ्यों को महेश दिवाकर ने इन पंक्तियों से स्पष्ट करने की पूरी चेष्टा की है-
‘उच्‍च लक्ष्‍य रख सामने, करिये ऐसे काम।
याद करे संसार सब,रहे युगों तक नाम॥’

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