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पर्यावरण के विषय पर सरल लेखन की जरूरत

विचार गोष्ठी…..

इंदौर।

पर्यावरण के विषय पर बहुत बोझिल व कठिन के बजाय सरल शब्दों में लिखा जाना बेहद जरूरी है। जितना सरल लिखा जाएगा,उतना आम आदमी के बीच पर्यावरण का विषय आसानी से पहुंचाने में मदद मिलेगी और आम लोगों की समझ में आएगा।
पर्यावरण संरक्षण अनुसंधान एवं विकास केंद्र इंदौर द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण विचार गोष्ठी में यह विचार उभरकर सामने आए‌। इस गोष्ठी में कई वरिष्ठ पत्रकार,लेखक कवि और शिक्षाविद् मौजूद थे। केंद्र के कार्यालय पर इस गोष्ठी का विषय ‘पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लेखन की स्थिति और संभावना’ था। वरिष्ठ साहित्यकार और मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति इंदौर के साहित्य मंत्री हरेराम वाजपेई ने इस मौके पर कहा कि नई पीढ़ी को पर्यावरण के महत्व को कठिन तरीके से नहीं,आसानी से समझाने की जरूरत है। समूह संपादक डॉ. क्रांति चतुर्वेदी ने कहा कि पर्यावरण विषय बहुत महत्वपूर्ण है। इसे आसान तरीके से समझाने के लिए इसे लेकर शैक्षणिक अध्ययन यात्राएं होनी चाहिए। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. अनिल भंडारी ने की। उन्होंने बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसे लेकर समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है । श्रीमती सुषमा दुबे ने लघु कथा और सतीश राठी ने कविता के माध्यम से अपनी बात रखी।
गोष्ठी में श्रीमती अमरवीर कौर चड्ढा,श्रीमती चेतना भाटी,देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की पत्रकारिता जनसंचार अध्ययनशाला की प्रमुख डॉ. सोनाली सिंह,डॉ. राजेश वर्मा, रंजना फतेपुरकर और सत्यनारायण मंगल ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर वरिष्ठ उपन्यासकार अश्विनी दुबे और श्रीमती वाणी अमित जोशी भी मौजूद रहे। विषय प्रवर्तन संयोजक मुकेश तिवारी ने किया। संचालन विचार गोष्ठी की समन्वयक डॉ. संगीता भारूका ने किया। आभार प्रो. ओ.पी जोशी ने माना।

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