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कैसे तुझे बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार

अवधेश कुमार ‘अवध’
मेघालय
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निर्वाचन के महासमर में तूने बहुमत पाया है,
झाड़ू लेकर इधर से उधर कचरा खूब उड़ाया है।
लोकतन्त्र के शेर आप हो और सभी के बाप तुम्हीं-
थोड़ा-सा बस कमल खिला,ज्यादा कुचला कुम्हलाया है।

कांग्रेस जीरो पर अटकी,फिर भी चढ़ा खुमार,
कैसे तुझे बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार॥

चार साल तक एल जी पी एम का तूने रोना रोया,
जनता के दिल में घुसकर के बीज छद्म का भी बोया।
चालाकी में तुम हो लोमड़ और तेज हो गिरगिट से-
चार साल के पापों को अब एक साल में रगड़ा धोया।

फ्री के लेने-देने को भी हम करते स्वीकार,
कैसे तुझे बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार॥

‘एयर स्ट्राइक’ पर तुमने भी सबूत तो माँगा था,
सेना की कुर्बानी को भी राजनीति पर टाँगा था।
काश्मीर के मुद्दे पर तेरे भी आँसू थे छलके-
राष्ट्रवाद की बात चली तो तू भी बिल्ला -रंगा था।

देशद्रोह का किया समर्थन लानत तुझे हजार,
कैसे तुझे बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार॥

अगर देश के मुद्दे पर तुम साथ सही का देते तो,
सैनिक के घरवालों की भी बहुत दुआएँ लेते तो।
बलात्कार का पक्ष न लेकर साथ दामिनी के रहते-
कश्मीरी विस्थापित पर थोड़ा भी होते चेते तो।

‘अवध’ तुम्हारी झोली में भर देता यह संसार,
कैसे तुझे बधाई दे दूँ हे दिल्ली सरकार॥

परिचय-अवधेश कुमार विक्रम शाह का साहित्यिक नाम ‘अवध’ है। आपका स्थाई पता मैढ़ी,चन्दौली(उत्तर प्रदेश) है, परंतु कार्यक्षेत्र की वजह से गुवाहाटी (असम)में हैं। जन्मतिथि पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तर है। आपके आदर्श -संत कबीर,दिनकर व निराला हैं। स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र),बी. एड.,बी.टेक (सिविल),पत्रकारिता व विद्युत में डिप्लोमा की शिक्षा प्राप्त श्री शाह का मेघालय में व्यवसाय (सिविल अभियंता)है। रचनात्मकता की दृष्टि से ऑल इंडिया रेडियो पर काव्य पाठ व परिचर्चा का प्रसारण,दूरदर्शन वाराणसी पर काव्य पाठ,दूरदर्शन गुवाहाटी पर साक्षात्कार-काव्यपाठ आपके खाते में उपलब्धि है। आप कई साहित्यिक संस्थाओं के सदस्य,प्रभारी और अध्यक्ष के साथ ही सामाजिक मीडिया में समूहों के संचालक भी हैं। संपादन में साहित्य धरोहर,सावन के झूले एवं कुंज निनाद आदि में आपका योगदान है। आपने समीक्षा(श्रद्धार्घ,अमर्त्य,दीपिका एक कशिश आदि) की है तो साक्षात्कार( श्रीमती वाणी बरठाकुर ‘विभा’ एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वारा)भी दिए हैं। शोध परक लेख लिखे हैं तो साझा संग्रह(कवियों की मधुशाला,नूर ए ग़ज़ल,सखी साहित्य आदि) भी आए हैं। अभी एक संग्रह प्रकाशनाधीन है। लेखनी के लिए आपको विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा सम्मानित-पुरस्कृत किया गया है। इसी कड़ी में विविध पत्र-पत्रिकाओं में अनवरत प्रकाशन जारी है। अवधेश जी की सृजन विधा-गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधाएं हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जनमानस में अनुराग व सम्मान जगाना तथा पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत में हिन्दी को सम्पर्क भाषा से जनभाषा बनाना है। 

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