श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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शिक्षक दिवस दिवस….
शिक्षक, शिक्षक सब कहे,
पर उन्हें नहीं जाना कोई।
पाठशाला में शिक्षक मिले,
घर में पहली शिक्षक माँ होई।
‘शिक्षक दिवस’ पे शिक्षक को,
सादर नमन सबने ही किया
जो बोलना सिखाया उनको तो,
कभी कोई नमन नहीं किया।
श्रीगुरु का पूजा-अर्चना करेंगे
पर माँ को पूजा ही नहीं कोई
उंगली पकड़ चलना सिखाए पिता,
कभी भी शिक्षक बोला नहीं कोई।
बचपन से बचपन तक का गुरु से,
ज्ञान-विज्ञान सब मिल जाता है
लेकिन माता जैसी शिक्षक का,
नाम कभी लिया नहीं जाता है।
हे भारतीय पुत्र या पुत्री आपको,
यह याद करते रहना चाहिए।
घर में ही आपकी पहली गुरु ‘माँ’ है,
पहले आप उन्हें मस्तक झुकाइए॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |