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श्रद्धा प्रेममय होली

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

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होली विशेष…

ब्रज होली है रंगों का त्यौहार, राधा संग खेलें होली रे।
गोरी राधा हृदय गोपाल मन माधव प्रिय हमजोली रे॥

मोहे रंग दे गुलाल गाल, फागुनी होली आयो रे।
भांग नशा प्रीत मधुशाल, रंगीली होली आयो रे॥
गोरी राधा हृदय…

आलिंगन हिय प्रणय उद्गार, रंगीला प्रीतम आयो रे।
साजन लगाऊँ गाल गुलाल, देखो साजन मुस्कायो रे॥
गोरी राधा हृदय…

मधुवन में बाल गोपाल मिले, परस्पर रंग बरसायो रे।
मदमाती भीगी ग्वारन रंग, ग्वालों बेहाल बनायो रे॥
गोरी राधा हृदय…

नटवर मोहन गिरधारीलाल, पिचकारी रंग भरायो रे।
देखी गोरी राधिका श्याम छिपे,
प्रिय गुलाल लगायो रे॥
गोरी राधा हृदय…

न भाग राधिका दिल गुलज़ार, मोहे तू रंग रंगायो रे।
मैं भी प्रिय नंदलाल बाल, तुझको सतरंग लगाऊँ रे॥
गोरी राधा हृदय…

खाऊँ गुलाब जामुन गुजिया, यशोदा अम्ब बनाओ रे।
मत बन हुड़दंगी गोपाल, बालपन धूम मचायो रे॥
गोरी राधा हृदय…

समरस प्रेम रंगीन फुहार,
उमंग बहार बरसायो रे।
भूले सब गम दु:ख अन्तर्मन, होली तरंग लहरायो रे॥
गोरी राधा हृदय…

अपनत्व रिश्तों भरे मिठास, मधुमास बसन्त हजारों रे।
मोहे रंग दे गुलाल गाल, फागुनी होली आयो रे॥
गोरी राधा हृदय…

जोगीरा सा रा..रा..धुन गीत, बृज मोहन खेले होली रे।
लीलाधर षोडश श्रृंगार,
मधुर मुरली सुर बोली रे॥
गोरी राधा हृदय…

श्रद्धा भक्ति प्रेम रस प्लावित, रंग होली का त्यौहार रे।
मोहन राधा रंग रास मन, होली फागुन रंग बहार रे॥
गोरी राधा हृदय…

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥