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पुकार रही वसुंधरा

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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गर्मी में ऊधम,
वर्षांत में ग़म ही ग़म
पेड़-पौधे की गुमनामी,
जलवायु परिवर्तन का दौर
पशु-पक्षियों का दुःख-दर्द,
झुलस रही ज़िन्दगी
गरीब असहाय व बेबस लोगों का,
तकलीफों से सना संसार।

नन्हीं दुनिया की बेचैनी,
अशक्त लोगों की तकलीफ़
मुश्किल वक्त का सफ़र,
नवीन जोश की घटती लय
‘ग्लोबल वार्मिंग’ की परेशानियां,
तपती वसुंधरा का दौर।

अपनत्व, विवेक व विश्वास से बढ़ती दूरियाँ,
कल-कारखानों की भीड़-भाड़
कामगारों का रोता हुआ संसार,
सूखती हुई बड़ी संख्या में नदियाँ
जलाशयों और पोखरों का निष्प्राण रंग,
गाँव के कुओं का घटता संस्कार।

मौसम का घूमता मिज़ाज,
नवीनतम खोजों से परहेज़
दुखों का लबालब भण्डार,
सम्पूर्णता और अपनत्व का
सबसे कम या यूँ कहें न्यूनतम कार्यकाल,
मदहोशी में बसा हुआ संसार।

बड़ी-बड़ी इमारतों में कांक्रीट का भरा-पूरा परिवार,
उन्नति और प्रगति का झूठा आधार
यह सब-कुछ आज़ की बन चुकी जरूरत है,
दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती है
आज़ हमें करनी इसकी हिफाजत है।
पुकार रही है वसुंधरा आज़,
पृथ्वी पर है यह ईश्वरीय आगाज़॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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