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भरा यदि है खून..

रणदीप याज्ञिक ‘रण’ 
उरई(उत्तरप्रदेश)
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भरा है यदि खून तो,
खौलना भी सीख लो
खून को क्रोध में नहीं,
पसीने में बहाना सीख लो।

यदि गर्म हवा भी चलेगी,
ठंडक का सुकून मलेगी
तबियत से किताब तो खोलो यात्री,
जीवन का सबक तुम्हें सिखला देगी।

मान लिया अटूट भीड़ है,
तुम्हारी लक्ष्य यात्रा में
लेकिन लक्ष्य भी तो मुरीद हो,
तुम्हारी चयन गाथा में।

पता है भरे पड़े हैं प्रतिद्वंदी,
अध्ययन के इस बाजार में
लेकिन तुम बनना खुद के प्रतिद्वंदी,
फिर क्या गिला किसी की रफ्तार में।

अरे सत्ताधीशों को भी तुम,
बोना कर दोगे जब अध्ययन
में खुद को रमा दोगे,
और इसे जहन में बैठा लोगे।

भिज्ञ हो अध्ययन का अंत चयन नहीं,
तो अनन्त से प्रतिद्वंदिता भी मत रखना
बात है यदि तुम्हारे चयन की ही,
तो अध्ययन से इसे तुम लांघ लेना।

अब जब समर में उतार उतर ही आये,
तो खुद को आजमाना भी सीख लेना
भरा है यदि खून तुममें तो,
खौलना भी तुम सीख लेना॥

परिचय–रणदीप कुमार याज्ञिक की जन्म तारीख १३ मई १९९५ है। साहित्यिक नाम `रण` से पहचाने जाने वाले श्री याज्ञिक वर्तमान में वाराणसी में हैं,जबकि स्थाई बसेरा उरई(जालौन)है। वर्तमान में एम.ए (द्वितीय वर्ष) के विद्यार्थी और कार्यक्षेत्र भी यही है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत अपने लेखन के माध्यम से विचारों का सम्प्रेषण करते हैं। इनकी लेखन विधा-गीत,कविता, कहानी और लेख है। प्रकाशन के तहत वर्तमान में कार्य(बुन्देखण्ड से संबंधित इतिहास पर)जारी हैl रण की लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त रूढ़ियों को तोड़ना,अंधविश्वास को दूर करना, नागरिक बोध की समझ विकसित कराने के साथ-साथ निष्पक्ष सोच की मानसिकता को पैदा कराने का प्रयास है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-माता-पिता,शिक्षकगण तथा मित्रगण हैं।भाषा ज्ञान-हिन्दी,बुन्देलखण्डी एवं अंग्रेजी का रखते हैं। रुचि-लेखन,खेल और पुस्तकें पढ़ने में है।

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