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दुष्ट प्रवृत्ति व शोषण का शिकार बनती महिलाएँ

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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पूरा भारत जहाँ एक ओर नारी सम्मान की बात करता है,वहीं जहाँ मौका मिलता है दमन करने से नहीं चूकता। एक ओर कन्या दिव्य रूप मानकर पूजी जाती है,तो दूसरी ओर भ्रूण हत्या,बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का शिकार हो रही है।
हमारे भारत में हर वर्ग में नारी की स्थिति अलग अलग है। उच्च वर्ग में जहाँ एक ओर सभी सुविधाओं से युक्त हैl अच्छा जीवन स्तर,आर्थिक आधार पर उच्च शिक्षा,किन्तु ये महिलाएं भी मानसिक व शारिरिक शोषण का शिकार होती हैं। पुरुष अय्याशी और विवाहेत्तर संबधों में व्यस्त रहते हैं,तथा कॉकटेल पार्टियों में पीकर मस्त हो जाते हैं। उच्च वर्ग की महिलाएँ या तो मानसिक कुंठा का शिकार हो जाती हैं,या पुरुषों जैसा ही जीवन-यापन करने लगती हैं। वहीं मध्यमवर्गीय महिलाओं की स्थिति भी सोचनीय है। इस वर्ग की महिलाएँ अधिक शोषित हैंl सानिया,मेरीकॉम,कल्पना चावला जैसी महिलाएं अंतरिक्ष भी छू रही हैं,हर क्षेत्र में कामयाबी हासिल कर रही हैं,घर के साथ-साथ दफ्तर भी बखूबी संभाल रही हैं,किंतु जो पुरुष जीवन में कुछ नहीं कर पाते, कामकाजी महिलाओं को अपने से आगे निकलते नहीं देख पाते,तो कभी शारीरिक-कभी मानसिक पीड़ा देते हैं। ऐसे में नारी दुष्ट प्रवृत्ति के पुरुष द्वारा बलात्कार और यौन शोषण का शिकार बन जाती हैं।
इधर,निम्न वर्ग की महिलाएं सर्वाधिक शोषित होती हैं। न उचित पोषण,न उच्च शिक्षा,सिर्फ दिनभर मेहनत,कभी पति की तो कभी समाज की यातनाओं का शिकार। इन महिलाओं को तो पुरुष वर्ग सिर्फ भोग्या ही समझता है।
आज भारत में एक औरत सिर उठाकर जीती है,कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं,तो भी समस्या है,क्योंकि उसे तो अपनों ने ही लूटा है। भारत में शर्म और तमीज का सारा ठेका औरतों ने ही ले रखा है।

परिचय–गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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