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पेट की आग

अलका जैन
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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पेट रोटी मांगता रहा जिस्म पसीना बहाता रहा,
हर मुफलिस की यही एक कहानी दोस्त
उम्र तो खेलने-कूदने की थी,बचपन था,
पेट की आग मगर काम करवाती रही।
पराई औलाद पर किसी को दया नहीं आती,
काम बहुत और टका कम देता रहा साहूकार
आइना देखने का वक्त ना मिला,
खूबसूरती बेमिसाल खुदा ने हमें भी दी।
साजन की बाँहों में हम झूलना चाहते रहे,
मगर जवानी पेट की आग बुझाने में गुजरी
रकम इतनी थी पेट भरे या बदन ढंके,
अधढके बदन पे जमाने की बुरी नजर रही।
सपने तो सुहाने मुफलिस ने भी देखे,
हकीकत की आग जलाती रही सपने
चिल्लर मेरे हिस्से की भी दुनिया दबा रही है बाबू,
न्याय मिलेगा कब गरीब को साहब।
मौत सामने खड़ी नजर अब तो आती है,
पेट रोटी मांगता रहा जिस्म पसीना बहाता रहा
नेता की तरक्की तेजी से हो रही,
गरीब जनता रोटी की जुगाड़ में लगी।
दया-धर्म मिट गया दुनिया से दोस्त,
रोटी ही जिंदगी बन रही मुफलिस की॥

परिचय-अलका जैन का निवास इंदौर(मध्यप्रदेश) में हैl इनकी जन्म तिथि ८ अक्तूबर १९५७ और जन्म स्थान धार(मप्र) हैl स्थाई रूप से शहर इंदौर में सी बसी हुई अलका जैन का कार्यक्षेत्र भी इंदौर ही हैl आप सामाजिक गतिविधियों के अन्तरगत विधवा विवाह करवाने,हास्य-कवि सम्मेलन,नृत्य कला आदि में सक्रिय रहती हैंl आप काव्य सहित विभिन्न विधाओं में लेखन करती हैंl १९८० से सतत लिखने में सक्रिय अलका जैन को हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl प्रकाशन में उपन्यास-पामेला है तो रचनाओं का प्रकाशन लेख,ग़ज़ल,गीत,कहानी आदि के रूप में पत्र पत्रिकाओं में हुआ हैl इनके खाते में सम्मान के रूप में श्रीलाल शुक्ल स्मारक राष्ट्रीय संगोष्ठी समिति(हैदराबाद) से मान सहित मालवा रत्न, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड और विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मान आदि हैl इनकी विशेष उपलब्धि हास्य का पुरस्कार मिलना हैl लेखनी का उद्देश्य-समय का सदुपयोग करना हैl प्रेरणा -कबीर दास जी हैंl रूचि नृत्य,सत्संग,फैशन,मुशायरे में शिरकत और लेखन हैl

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