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पेड़ लगाना शुरु करो

राधा गोयल
नई दिल्ली
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स्वच्छ जमीन-स्वच्छ आसमान…

तप्त धूप में चलते चलते, पड़े पाँव में छाले हैं,
छाँव कहीं भी नजर न आए, सारे वृक्ष काट डाले हैं
पंखी सारे तड़प रहे हैं, कहाँ बनाएँ घरौंदा,
स्वार्थपूर्ति की खातिर, मानव ने प्रकृति को रौंदा ?

जंगल सभी काट डाले, तालाब पाट डाले हैं,
खनन और भू माफियाओं ने, अपने हित पाले हैं
नदियों का आकार निरन्तर ही घटता जाता है,
पानी का स्तर रोजाना नीचे गिरता जाता है।

पानी और हवा न होगी, हाहाकार मचेगा,
क्या उससे पहले ही, कोई नींद से नहीं जगेगा ?
अभी समय है चेत जाओ और पेड़ लगाना शुरू करो,
सूखे से राहत मिल पाए, ऐसे कोई उपाय करो।

छायादार वृक्ष होंगे तो सूरज भी घबराएगा,
अपने तेज ‘ताप’ से फिर वो दग्ध नहीं कर पाएगा।
धनलोलुप लोगों से विनती, जनहित का कुछ काम करो,
मानव हो, मानव होने का फर्ज निभाकर नाम करो॥

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