श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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आया मनभावन वसन्त…
आ गया धरा में ऋतुओं का राजा बसंत,
अब नहीं जाना, हे प्यारे ऋतुराज बसंत।
जब से आई हो, सबकी प्यारी ऋतु बसंत,
मन खुश हो गया है, सच कहती हूँ बसंत।
बसंत के आने से हर्षित हो गई है धरती,
‘आया बसंत’ कह कर, सखी जल भरती।
बसंत ऋतु आते ही, मौसम सुहाना लगता है,
पनघट में पहारन का मन खुशी से चहकता है।
ऋतु बसंत के स्पर्श से, हृदय मोहित है,
गुलाब, चम्पा, चमेली बाग में सुशोभित है।
सर्दी ना गर्मी, हर्षित मौसम लाया बसंत,
ऋतुराज के पग रखते, खुशी छाई तुरंत।
बसंत के आते, गीत गाती हैं सखी सब,
प्यारे बसंत मैं तुझे, नहीं जाने दूँगी अब॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |