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प्रकृति को अपनी निजी संपत्ति ना समझें-डॉ. जोशी

पुस्तक लोकार्पण….

इंदौर (मप्र)।

प्रकृति आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे पास अमूल्य धरोहर है। हम इसे अपनी संपत्ति ना समझें।
यह बात अखंड संडे के तत्वावधान में वरिष्ठ लेखक और पर्यावरण प्रेमी हरमोहन नेमा के तीसरे काव्य संग्रह ‘प्रकृति और मैं’ के ऑनलाइन लोकार्पण अवसर पर सुप्रसिद्ध वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ.ओ.पी.जोशी ने कही। क्षरण होते पर्यावरण पर चिंता जाहिर करते हुए डॉ.जोशी ने कहा कि प्रकृति कई संतापों को झेल रही है। हमें इन घावों को भरने के पर्यावरण संरक्षण के प्रयास ईमानदारी से करना होंगे।
वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी ने कहा कि प्रकृति का सानिध्य पाना सौभाग्य की बात है। वर्तमान कोरोना दौर में जन-जन आक्सीजन के लिए भटक रहा है। यह देश का दुर्भाग्य है। डॉ. यागेन्द्रनाथ शुक्ल ने भी शुभकामना संदेश दिया।
सुप्रसिद्ध हास्य कवि राजीव नेमा इन्दौरी ने अपने पिता की कृति पर कहा कि पापा को प्रकृति प्रेम के संस्कार दादा-दादी से विरासत में मिले हैं। बचपन से ही हम देखते आ रहे हैं उन्हें पेड़ पौधों पशु-पक्षियों से अनंत लगाव है। उन्हें देखकर उनका चेहरा खिल जाता है।
लेखक उमेश नीमा ने कहा कि,कवि ने प्रकृति के प्रति अपनी जीवंत संवेदनाओं को रचनाओं में अभिव्यक्त किया है।
कृतिकार हरमोहन नेमा ने बताया कि ताउम्र जो प्राकृतिक आनंद लिया,उसी को रचनाओं में अभिव्यक्त किया है।
संपादक मुकेश इन्दौरी ने कहा कि यह संग्रह ५५ कलियों रूपी रचनाओं से सजा हुआ गुलदस्ता है, जिसमें शिक्षाप्रद, ज्ञानवर्धक एवं बालमन की जिज्ञासाएँ को शांत करती प्रकृति को रेखांकित करती रचनाएँ हैं। संग्रह में प्रकृति से जुड़े तमाम बिंबो पेड़-पौधे,ताल-तलैया,नदियाँ-झरने आदि पर ज्ञानवर्धक रचनाएँ संकलित है। निश्चय ही यह संग्रह बाल साहित्य की दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है।
इस अवसर पर श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के साहित्य के प्रचार मंत्री अरविंद ओझा, चिंटू इन्दौरी,डॉ. रमेशचंद्र,अनिल ओझा,रविंद्र पहलवान,विक्रम क्षीरसागर,चंद्रकला जैन,कार्तिकेय त्रिपाठी,संजय जैन,पवन सोलंकी आदि ऑनलाइन उपस्थित थे। संचालन मुकेश इन्दौरी ने किया। आभार संजीव नेमा ने माना।

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