पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल आपकी अच्छाई आपके मार्ग पर बाधक थी,इसलिए अपनी आँखों को क्रोध से लाल होने दीजिए, और अन्याय का मजबूत हाथों से सामना करने दीजिए। वल्लभ भाई पटेल का जन्म ३१ अक्टूबर १८७५ को हुआ। इस महापुरुष का जन्म नाडियाड गुजरात में एक लेवा कर्जर प्रतिहार परिवार में हुआ था।पिता झावेर भाई पटेल व माता लाड़बाई पटेल की चौथी संतान थे। वकील की पढ़ाई के बाद वकालत करने लगे। इनका विवाह १८९३ में सोलह वर्ष की आयु में झावेर बा के साथ हुआ था।
इनकी पत्नी की मृत्यु १९०८ में हो गई थी।
वल्लभ भाई पटेल अपने गंभीर शालीन व्यक्त्तिव और उच्च तौर-तरीके की वजह से वे लोकप्रिय थे।
महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया,चाहे वो रियासतों के विलीनीकरण में उनके योगदान की बात हो चाहे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि की मजबूत करने की बात हो। इन्होंने एक सच्चे देशभक्त की तरह अपने देश को मजबूत करने पूरा प्रयास किया।
आपमें राष्ट्रीय एकता के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा थी।
वे मन वचन तथा कर्म से सच्चे देशभक्त थे। वर्ग भेद व युग भेद के कट्टर विरोधी थे। अंतकरण से निर्भीक, किसी काम को करने के लिए सकंल्प लेना और उसे पूरा करके दम लेना उनकी विशेषता थी। जिस तरह लोहा कभी झुकता नहीं,और मुड़ता नहीं वे भी अपने संकल्पों से नहीं हटते थे।
आप अदभुत अनुशासन प्रियता,अपूर्ण संगठन शक्ति के मालिक रहे। शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता के धनी तथा चरित्र के अनुकरणीय अलंकरण थे।
स्वतंत्रता उपरांत केन्द्रीय भूमिका निभाने के लिए उन्हें भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष
कहा जाता है। उनका कहना था कठिन समय में,कायर बहाना बनाते हैं,और बहादुर व्यक्ति रास्ता खोजते हैं।
शिल्पी सरदार वल्लभ भाई पटेल कर्मवीर,दृढ़ संकल्प और राजनीति के कुशल खिलाड़ी थेl वल्लभ भाई पटेल को सहस्त्र नमन है।
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।